बिहार में हाई अलर्ट: जैश‑ए‑मोहम्मद के तीन आतंकवादी नेपाल सीमा से

जब हसनैन अली, पाकिस्तानी रावेलपिंडी, अदील हुसैन (उमेरकोट) और मोहम्मद उस्मान (बहावलपुर) बिहार में घुसने के बाद राज्य ने 28 अगस्त 2025 को हाई अलर्ट जारी किया, तो हवा में तनाव का माहौल घनिष्ठ हो गया। तीनों को जैश‑ए‑मोहम्मद के सदस्य बताया गया है, जो भारत में काम करने पर प्रतिबंधित एक उग्रवादी समूह है। इस खबर ने न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों को बल्कि आम नागरिकों को भी सतर्क कर दिया।
पृष्ठभूमि और सीमा का इतिहास
बीमारी‑खींची 729 किलोमीटर लंबी भारत‑नेपाल सीमा कई सालों से सुरक्षा विशेषज्ञों की चिंता रही है। खुले पड़ाव, घनी वनाच्छादित क्षेत्रों और स्थानीय जुड़ाव की वजह से अनियंत्रित पारगमन अक्सर होता है। पिछले साल, 2024 में भी तीन अज्ञात व्यक्तियों को नेपाल से प्रवेश करते पकड़ा गया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि ऐसी घुसपैठें अभी भी संभव हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और कदम
इंटेलिजेंस रिपोर्टों के अनुसार, हसनैन, अदील और उस्मान ने मध्य‑अगस्त में काठमांडू पहुंचा और फिर अगले दो हफ्तों में अररिया के पार‑सीमा चोक पर घुसपैठ की। बिहार पुलिस ने तुरंत उनका पासपोर्ट और पहचान विवरण सभी पुलिस इकाइयों को भेजा। बिहार पुलिस के अतिरिक्त निदेशक जनरल (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने बताया, "यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक गुप्त मुद्दा है" और आगे कोई जानकारी नहीं दी।
पूर्वी चम्पारण के एसपी स्वर्ण प्रभात ने वीडियो संदेश में कहा, "केंद्रीय इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर पुलिस हाई अलर्ट पर है। सीमा क्षेत्रों में गाड़ी जांच जारी है, सभी थानों को सूचना दे दी गई है। नागरिक 112 पर या सीधे थाने में सूचना दे सकते हैं। सूचनाकर्ताओं की पहचान सुरक्षित रखी जाएगी।"
राज्य के सात सीमा जिलों – सीतामढ़ी, मधुबनी, पश्चिम और पूर्व चम्पारण, अररिया, किशन्गंज और सुपौल – में अतिरिक्त चेकपॉइंट स्थापित किए गए, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर सुरक्षा कड़ी हो गई, और सशस्त्र सीमा बैल (एसएसबी) को अतिरिक्त तैनात किया गया।
प्रभाव और चुनाव की स्थिति
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव आगामी हैं, जो लगभग नॉवन में आयोजित होने वाले हैं। सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि इन आतंकियों का उद्देश्य चुनावी माहौल को भड़काना हो सकता है। अंडरग्राउंड नेटवर्क के माध्यम से बड़े पैमाने पर हमले की योजना बना रहे हो सकते हैं, क्योंकि चुनाव के दौरान भीड़भाड़ और राजनीतिक उत्तेजना से सुरक्षा को चकमा देना आसान हो जाता है।
इस पहलू को देखते हुए, राज्य ने विशेष चुनाव सुरक्षा बल भी गठित किया है और 2025 बिहार विधानसभा चुनावबिहार को सुरक्षा के उच्चतम स्तर पर रखने का संकल्प लिया है।

स्थानीय प्रतिक्रिया और नागरिकों की भूमिका
सभी प्रभावित जिलों में स्थानीय लोग अब सतर्क हैं। कई ग्रामों में युवा स्वयंसेवक रात‑रात गश्त में मदद कर रहे हैं, जबकि सामाजिक बेनिफिट संगठनों ने सूचना‑संकट प्रबंधन के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित की। पुलिस ने कहा, "हर छोटी‑सी छोटी सूचना भी बड़ी चालाकी को रोक सकती है।"
इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के एक रैली में कहा, "ऑपरेशन सिन्दूर के बाद कोई भी आतंकवादी भारत की धरती पर शरण नहीं पा सकता।" यह बयान पिछले महीने के ऑपरेशन सिन्दूर की याद दिलाता है, जिसमें पाकिस्तानी और पाकिस्तान‑कब्जे कश्मीर में कई उग्रवादी शिविर नष्ट हुए थे।
भविष्य की संभावनाएँ और नीति दिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत‑नेपाल सीमा पर अधिक इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और बायो-मैट्रिक चेकपॉइंट स्थापित करना आवश्यक होगा। साथ ही, दोनों देशों के बीच बौद्धिक और सामरिक सहयोग को गहरा करने से जमीनी स्तर पर इन घुसपैठियों को रोकना आसान हो सकता है।
यह घटना सरकार को याद दिलाती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि नागरिक जागरूकता और संस्थागत संवाद का मिश्रण है। यदि प्रभावी ढंग से काम किया जाए, तो भविष्य में इस तरह की घुसपैठें कम हो सकती हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया, जैसे कि चुनाव, बिना भय के संपन्न हो सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
इन आतंकवादियों का पकड़ पड़ने पर क्या जुर्माना है?
बिहार पुलिस ने प्रत्येक आतंकवादी के लिए सूचना देने वाले नागरिक को 50,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। इसके अलावा, पकड़े गए आतंकियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत सख्त सजा के साथ-साथ मृत्युदंड की भी संभावना है।
क्या यह घुसपैठ नेपाल‑भारत सीमा की पूरी सुरक्षा नीति को बदल देगा?
संभावना है। सरकार ने पहले ही सीमा पर नई इलेक्ट्रॉनिक सेंसर, ड्रोन निगरानी और बायो‑मैट्रिक चेकपॉइंट लगाने की योजना प्रस्तुत की है। यह घटना इन योजनाओं को तेज़ करने का एक प्रमुख प्रेरक मानती है।
क्या इन आतंकियों का चुनावों से कोई सीधा संबंध है?
इंटेलिजेंस एजेंसियों ने संकेत दिया है कि ये आतंकवादी चुनावी माहौल में उथल‑पुथल पैदा करने की योजना बना रहे थे। हालांकि अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, परंतु चुनाव सुरक्षा के लिए अब अतिरिक्त रखरखाव और सतर्कता बढ़ा दी गई है।
सामान्य नागरिक कैसे मदद कर सकते हैं?
नागरिकों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति, वाहन या अनजान गतिविधि को तुरंत 112 पर या नजदीकी थाने में रिपोर्ट करना चाहिए। पुलिस ने भरोसेमंद सूचनाकर्ताओं की पहचान गुप्त रखी है, इसलिए सूचना देने से किसी को भी नुकसान नहीं होगा।
क्या नेपाल इस घुसपैठ में शामिल है?
नेपाल सरकार ने कहा कि सीमा पर निगरानी में कमी के कारण कुछ लापरवाही हुई हो सकती है, परंतु वह इस प्रकार की किसी भी गैर‑कानूनी गतिविधि को नकारती है और भारत के साथ मिलकर सुरक्षा उपाय बढ़ाएगी।
Ashutosh Kumar
बिलकुल बवाल है, जेब में धरती हिल जाएगी!